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एक पिता और पुत्र की दिल छू लेने वाली कहानी – Chota Sa Safar – Deepanshu Gahlaut

एक पिता और पुत्र की दिल छू लेने वाली कहानी – Chota Sa Safar

एक पिता और पुत्र की दिल छू लेने वाली कहानी

दुनिया में केवल पिता ही एक ऐसा इंसान है जो चाहता है कि मेरे बच्चे मुझसे भी ज्यादा कामयाब हो, एक पिता अपने बच्चों के लिए केवल एक पिता ही नहीं होता, बल्कि एक अच्छा दोस्त भी होता है, जो समय पर अपने बच्चों को अच्छी और बुरी दोनों बातों का आभास कराते हैं |

एक बार दो भाइयों के बीच. संपत्ति और जमीन के बंटवारे को लेकर लड़ाई चल रही थी और विवाद कहराता जा रहा था | एक दिन दोनों भाई इस कदर झगड़ रहे थे, मानो किसी भी वक्त एक दूसरे को मारने के लिए तैयार हो, जब उनके पिता ने उन्हें इस तरह देखा तो वह बहुत जोर से हंसने लगे, अपने पिता को इस तरह देखकर दोनों भाई आश्चर्य चकित हुए और पिता से उनकी हंसी का कारण पूछा, पिता ने कहा, तुम जमीन के एक टुकड़े के लिए इतना झगड़ रहे हो इसे छोड़ो, तुम मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें एक अनमोल खजाना दिखाऊंगा |

लेकिन एक शर्त है, अगर तुम लड़े तो मैं तुम दोनों को खजाने तक नहीं ले जाऊंगा और हम वापस आ जाएंगे, भले ही हम मंजिल के करीब पहुंच जाएं, दोनों बेटों ने खजाने के लिए समझौता किया, कि चाहे कुछ भी हो, वे लड़ेंगे नहीं, घर से निकलने के बाद दोनों बेटे अपने पिता के साथ बस में चढ़ गए और 10 घंटे की लंबी यात्रा करके एक गांव पहुंचे |

पिता उन्हें एक बहुत बड़ी हवेली में ले गए जो चारों ओर से वीरान थी जब वे हवेली में दाखिल हुए तो पिता ने देखा कि हवेली में जगह-जगह कबूतरों ने घोसले बना दिए हैं यह देखकर पिता वहीं बैठकर रोने लगे बेटों ने पूछा क्या हुआ पापा आप रो क्यों रहे हैं? पिता ने कहा, जरा इस हवेली को ध्यान से देखो, याद करो वो बचपन जो तुमने यहां बिताया था, तुम्हें शायद याद ना हो, लेकिन जब तुम छोटे थे तो मैंने इस हवेली के लिए अपने बड़े भाई से बहुत लड़ाई की थी उस समय मैं जीत गया, मुझे ये हवेली मिल गई, लेकिन मैंने अपने भाई को हमेशा के लिए खो दिया, क्योंकि उसने मुझसे नाता तोड़ लिया, फिर वक्त बन गया और एक दिन हमें भी यह हवेली छोड़नी पड़ी, बेटे ध्यान से सुन रहे थे |

तभी पिता ने पूछा, अब बताओ, जब हम यहां आए तो कौन सी सीट पर बैठे थे, क्या वह सीट हमेशा के लिए हमारी रहेगी? एक बेटे ने कहा, बस की सीट हमेशा के लिए हमारी कैसे हो सकती है, बस की यात्रा चलती रहती है और बस में यात्री बदलते रहते हैं, उस सीट में क्या रखा है, जो सिर्फ थोड़ी देर के लिए हमारी थी |

पिता हंसे और बोले, मैं तुम्हें यही समझाना चाहता हूं कि जो कुछ तुम्हारा है, वह सिर्फ कुछ समय के लिए तुम्हारा है, तुमसे पहले उसका मालिक कोई और था. कुछ समय के लिए तुम हो. और उसके बाद कोई और होगा, बेटों, बस एक बात याद रखना कि थोड़े समय की स्वामित्व के लिए तुम्हें अपने अनमोल रिश्तों की बलि नहीं चढ़ानी है, यदि जीवन में धन का प्रलोभन आए तो उस समय इस हवेली की हालत याद कर लेना, याद रखना कि ऐसी जगहों पर भी एक दिन कबूतर अपना घोसला बना देते हैं |

याद रखना, बस की वो सीट जिसकी यात्री रोज बदलते हैं. उस सीट के लिए अपने रिश्तों की बलि कभी मत चढ़ाना, दोनों बेटों को पिता की बात का मतलब समझ आ गया और उन्होंने अपने पिता को गले लगा लिया, हमारे पास जो भी धन संपत्ति है, वह हमारी है सिर्फ कुछ समय के लिए, उसके बाद मालिक बदल जाएगा, इसीलिए दौलत या संपत्ति के चक्कर में अपने अनमोल रिश्तों को कभी मत खोना, पिता और बेटे का रिश्ता अनमोल होता है, दोनों ही एक दूसरे की पहचान होते हैं | पिता हमेशा अपने बेटे की खुशियों में अपनी खुशी तलाशता है और बेटा अपने पिता में दोस्त और एक आदर्श को देखता है |

Speaker: Diksha Rajput
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