रात की धुन में – A Poem on Nature

raat-ki-dhun-mein-poem

रात की धुन में,
सन्नाटा भी कुछ गुनगुनाता है
रात की धुन में —-1

रंगबिरंगे जुगनू
कुछ यूं झिलमिलाते है,
अंधकार को दुल्हन सा सजाते है
बस, रात की धुन में —-2

अंबर से चंद्रमा अपनी चांदनी बिखेर कर
स्वागत करता है चलते पथिक का
इस चांदनी के सुकून में
बस चलता है वो
रात की ही धुन में —-3

वृक्षों के कोंपल
ओस की बूंदों से सजकर
इठलाते है खुद पर,
शीतल हवा का झोंका महसूस करके
कहते है पेड़ों से, कि बहने दे पवन में
बस, रात की धुन में
रात की ही धुन में.—-4

By —- दीक्षा राजपूत

Read more Hindi Poems here.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *