I personally believe that one of the happiest time of one’s life is their childhood. But when we try to think back to our childhood memories, we struggle to remember those days.
Sometimes you have to recall how it felt to be a child, and remembering those memories from your childhood can make you smile.
I hope that my poem on childhood will help you imagine being like a child again.
बचपन की यादें
– By Deepanshu Gahlaut
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार,
माँ का आलिंगन, पापा की डाँट,
भाई बहन के साथ नटखट सा व्यव्हार,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..1
बहानो से घर से निकल जाना,
दोस्तों के साथ खेलना और खाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..2
बिना किस्से कहानी सुने नींद ना आना,
माँ की गोद में थक हार कर सो जाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..3
छोटी छोटी बातो पर रूठ जाना,
पल में हँसना और सब भूल जाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..4
अधूरा होमवर्क और स्कूल ना जाने का बहाना,
पापा का डांटना, और माँ का हमेशा बचाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..5
मेहमानों के आने पर माँ के आँचल में छिप जाना,
धीरे से मुस्कुराना और नजरे चुराना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..6
सुबह का नाश्ता और खाना ना खाने का बहाना,
ना खाने की जिद से माँ को सताना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..7
पेपर की टेंशन और ट्यूशन का बहाना,
यारो दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..8
कागज की नाव और बारिश में नहाना,
गावं की गलियाँ और वो बेफिक्रा जमाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..9
बाग़ बग़िया और तितलियों का ठिकाना,
घड़े का पानी और पीपल के नीचे सुस्ताना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..10
चाँद चांदनी और परियो का फ़साना,
सुहाने सपने और नींद का टूट जाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, …..11
पर ना जाने कहा चला गया वो जमाना,
बचपन ही है एक सफर सुहाना,
वो दिन तो दिन थे यार,
बचपन के दिन थे यार, ……………..12 (to be continued..)
“If you carry your childhood with you, you never become older” – Tom Stoppard
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I love this poem. Miss you so much my childhood.
मैं इस कविता के साथ प्यार में हूँ मैं अपने बचपन को याद कर रहा हूं.
I really loved the poem. Aisa laga k jaise main apne bachpan me hoon!! 😀😀
Heart touching. Good work Mr. DEEPANSHU.
बहुत ही बढ़िया कविता है दीपांशु जी
बचपन का वो समय बड़ा ही सुकून वाला था
Bhai tane bhot bhot dhanyawad.
Thare wajah se mara Holiday homework puro ho gaw.
Wo kya kawe h
Love from Haryana.
Nice…bachpan ki yaadein anmol hoti hain.
sach kaha aapne.
I really love this poem. Very nice! Keep it up
Mr.Deepanshu
Thank you Khushbu.
Me too
Nice bhai
Reall best poem yaar!
MISSING MY CHILDHOOD😶
best poem i loved it😍😘
Bahut khub! Mujhe yad hai wo din jab hum khilono ke liye lada karte they.
Main isse thoda sa edit karke isse ek rap mein convert karna chata hun jissi ayush fav Jo ki ek YouTuber hain unke channel pe post kiya jayega
Make sure to give a proper credit in youtube video as well as in the description and content.
That is my best life in my child hood days when I was the child I will never forget my child hood days
Very nice depiction of childhood memories Will you permit me to make a presentation of it
If you agree playing intimate at my Mail
This poem will be used in youtube video and a due credits in video and its description will be given
I would say this is the best poem on childhood. Loved it!