सवार होके एक नाव पर, हम चले संग संग
सामने बैठे हो पर, मन है कही रुमझुम
ना हवा का शोर, ना गीतों की सरगम
बस बैठे है, सुलझाने मनो की उलझन
लगता है वक़्त की लुखाचुपी में भेद सारे खुल गए
क्या चलना होगा रहके गुमसुम
या मिलके करले एक बात साथ साथ
पर ठहर……
रख ले – चाँद सितारे तू अपने पास,
खवाबो के इस शहर में अपनी आज़ादी,
और अपने लिए खुला आसमान,
एक किनारा इस लहराती नाव के लिए
बस याद रखना…..
मेरे इस अलग अलग रंग में
खुद से ही एक जंग है
मैं हूँ तेरा साया, तेरा चहेरे का रंग
तुमको क्या पता क्या हो तुम मेरे लिए
– Deepanshu Gahlaut
Here is my expression of feelings in form of poems –
- बचपन की यादें – A Hindi Poem on Childhood
- क्या सोचता हूँ, ये बता नहीं सकता – A Hindi Love Poem
- सोचता हूं.. तुम ना होती तो क्या करता मैं – A Poem To Convince Your Angry Girlfriend
- उसने कहा, जाओ – A Romantic Sad Hindi Poem
- मेरे सब कुछ तुम ही हो – A Romantic Love Poem
- ये ज़िन्दगी है तेरी मेरी कहानी – A Hindi Poem On Life
- माँ सब जानती है – A Hindi Poem on Mother
- माफी – Hindi Short Love Poem To Say Sorry
- रात की धुन में – A Poem on Nature by Diksha Rajput
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