हे कान्हा तू जानता है मैं हूँ नादान – Hindi Poem on Lord Krishna

हे कान्हा तू जानता है मैं हूँ नादान – Hindi Poem on Lord Krishna

कभी भी यह धारणा मत बनाइए कि भगवान हमारी प्रार्थनाओं को अनसुना कर देते हैं। जब भी ऐसा विचार मन में आए, तो एक बार अपने दिल की आवाज़ को सुनिए। जो सृष्टि के हर कण, चाहे वो एक नन्ही चिड़िया हो, एक मौन पशु, एक लहराता पेड़, या फिर खिलते फूलों की महक, उसे सुनने की शक्ति रखते हैं, वह आपकी मौन पुकार को कैसे अनसुना कर सकते हैं? वे सुनते हैं, हर बार सुनते हैं, लेकिन अपनी प्रतिक्रिया सीधे शब्दों में नहीं देते। बिना कुछ कहे, वे हमारी जिंदगी में अनेक चमत्कार कर देते हैं, और कई बार हमें इसका एहसास तक नहीं होने देते।

इस छोटी सी कविता के माध्यम से आज हम लोग भगवान् कृष्ण से जुड़ने का प्रयास करेंगे

हे कान्हा
तू जानता है
मैं हूँ नादान ——————————————————— 1

तू है मेरा सहारा
जैसे डूबते को मिले किनारा
अनजान हूँ दुनिया के रंगो से
मैं मानूँ खुद को अपने कर्मो से
गलती न हो कोई ऐसी ख्वाहिश नहीं
तू आके कह दे कर लो जो तुझे लगे सही

हे कान्हा
तू जानता है
मैं हूँ नादान ——————————————————— 2

कैसे बताऊँ अपने मन के हालात
इस सफर में ढूँढू तेरे कदमो के निशान
जानता हूँ तू है मेरे साथ
चलता है हर वक़्त पकड़के मेरा हाथ

हे कान्हा
तू जानता है
मैं हूँ नादान ——————————————————— 3

जज्बात तू ये समझता है
हर एक बात तू ये मेरी सुनाता है
तू जानता है मैं हूँ तेरा, तू है मेरा
फिर क्यों ना मैं दूँ साथ तेरा

बस मेरी यही है आस
चलते रहना तू मेरे साथ साथ

हे कान्हा
तू जानता है
मैं हूँ नादान ——————————————————— 4

Written By – Deepanshu Gahlaut

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