कातिल – A Hindi Poem on Mistake

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जो तुझे था प्यारा
वो मैंने खोया है
ये कैसा दर्द
खुशियों में पिरोया है
तेरी एक ख्वाहिश को
सजा के फिर तोडा है
ये कैसा दर्द …..

मुझे मालूम है
खता मेरी सजा मेरी
तू यूं बोल के न बता कि
जख़्म गहरा है
ये कैसा दर्द …..

वादों का ना रखा ध्यान मैंने
सपनो का रखा मान मैंने
तभी आज मेरा
कातिल सा चेहरा है

ये कैसा दर्द …..

– By Deepanshu Gahlaut

Here is my expression of feelings in form of poems –

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