कुछ गहरी बातें – कुछ सच्ची और अनमोल बातें | Chota Sa Safar

शब्द शब्द में ब्रह्म हो, शब्द शब्द में सार
शब्द सदा ऐसे कहो जिनसे उपजे प्यार।
शब्दों में धार नहीं, बल्कि आधार होना चाहिए।
क्योंकि जिन शब्दों में धार होती है, वो मन को काटते हैं।
और जिन शब्दों का आधार होता है, वो मन को जीत लेते हैं।
शब्द शक्ति है शब्द भाव है, शब्द सदा अनमोल
शब्द बनाए, शब्द बिगाड़े तोल मोल के बोल
संसार में सबसे बड़ी संवाद समस्या यह है
कि हम किसी की बात को समझने के लिए नहीं सुनते,
बल्कि उस बात का जवाब देने के लिए सुनते हैं।
थोड़ा सा सम्मान मिला पागल हो गए,
थोड़ा सा धन मिला बेकाबू हो गए,
थोड़ा सा ज्ञान मिला उपदेश की भाषा सीख ली,
थोडा सा यश मिला दुनिया पर हंसने लगे,
थोडा सा रूप मिला दर्पण ही तोड़ डाला,
थोड़ा सा अधिकार मिला दूसरों को तबाह कर दिया।
इस प्रकार तमाम उम्र चलनी में पानी भरते रहे।
हम अपनी समझ में बहुत बड़ा काम करते रहे।
बहुत आसान है भीड़ देखकर कोरवो की तरफ खड़े हो जाना।
श्री कृष्ण सा साहस चाहिए सही का साथ देने के लिए।
ईश्वर को छोड़कर, कोई अपना नहीं
और हम ईश्वर को छोड़कर सबके पीछे पड़े हैं।
हथेली तब भी छोटी थी, हथेली अब भी छोटी है।
पहले खुशियाँ बटोरने में चीजें छूट जाती थी,
अब चीजें बटोरने में खुशिया छूट जाती हैं।
घमंड किसी का नहीं रहा
टूटने से पहले गुल्लक को भी यही लगता है के सारे पैसे उसी के हैं।
गांव में नीम के पेड़ कम हो रहे हैं। घरों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है,
जुबान में मिठास कम हो रही है, शरीर में शुगर बढ़ती जा रही है।
किसी महापुरुष ने सच ही कहा था,
जब किताबें सड़क किनारे बिकेंगी और जूते कांच के शोरूम में,
तब समझना कि लोगों को ज्ञान की नहीं, जूते की जरूरत है।
मदद मांगने जाओ तो टालते हैं लोग
बात पता लग जाए तो उछालते हैं लोग
बताना मत किसी को अपने घर का हाल
अक्सर मौके का फायदा उठा लेते हैं लोग
खुशी जल्दी में थीं रुकी नहीं, ग़म फुर्सत में थे ठहर गए
लोगों की नजरों में फर्क अब भी नहीं है
पहले मुड़ कर देखते थे, अब देख कर मुड़ जाते हैं।
आज परछाई से पूछ ही लिया क्यों चलती हो मेरे साथ।
उसने हंस कर कहा, दूसरा कौन है तेरे साथ।
आज वही कल है, जिस कल की फिक्र तुम्हे कल थीं,
उम्र बिना रुके सफर कर रही है।
और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं।
जब भगवान ने हमें देखने के लिए आँखें दी हैं,
तो हम लोगों को कानों से क्यों देखते हैं?
अभिमान कहता है कि किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पर अनुभव कहता है कि धूल की भी जरूरत पड़ेगी।
बूंद सा जीवन है इंसान का, लेकिन अहंकार सागर से भी बड़ा है।
गीता का ज्ञान भुलाकर मानवता सदा ही हारी है।
इसीलिए संसार में आज भी महाभारत जारी है।
आजकल लोगों के विचार कुछ ऐसे हो गए हैं।
अगर कोई रो रहा है तो उसे रोने दो अपना क्या जाता है।
लेकिन अगर कोई हंस रहा है तो पता करो वो इतना खुश कैसे है
हर एक की सुनो और हर एक से सीखो
क्योंकि हर कोई सब कुछ नहीं जानता
लेकिन हर एक कुछ न कुछ जरूर जानता है।

Speaker: Diksha Rajput
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