मां के लिए मैं क्या लिखूं, माँ ने तो खुद मुझे लिखा है
मां से छोटा कोई शब्द हो तो बताओ
माँ से बड़ा भी कोई हो तो बताओ……..
लोग कहते हैं कि आज मां का दिन है।
वह कौन सा दिन है जो माँ के बिना है…
मौत के लिए तो बहुत रास्ते है…
पर जन्म लेने के लिए केवल माँ ही है….
मंजिल दूर है और सफ़र बहुत है
छोटी सी जिंदगी की फ़िक्र बहुत है….
मार डालती ये दुनिया कब की हमें,
लेकिन मां की दुआओं में असर बहुत है।
दवा ना असर करें तो नजर उतारती है
एक मां ही है जो कभी नहीं हार मानती है।
जन्नत का हर लम्हा मैंने दीदार किया था।
गोद में उठाकर जब मां ने मुझे प्यार किया था
शायद गिनती नहीं आती मेरी मां को
तभी तो मैं एक रोटी मांगता हूं।
वो दो लाकर देती है।
मां को देखकर मुस्कुरा लिया करो
क्या पता किस्मत में हज़ तीर्थ लिखा ही ना हो।
एक अच्छी मां हर किसी के पास होती है।
पर एक अच्छी औलाद हर मां के पास नहीं होती।
सन्नाटा छा गया बंटवारे के समय
जब मां ने कहा, मैं किसके हिस्से में हूं
घर की इस बार मैं मुकम्मल तलाशी लूंगा।
पता नहीं गम छुपाकर हमारे मां बाप कहां रखते थे?
जब भी लिखता हूं मां तेरे बारे में न जाने क्यों मेरी आंखें भर आती है?
Speaker: Diksha Rajput
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