प्रणाम का महत्व – संस्कारो की एक झलक है प्रणाम | Chota Sa Safar

प्रणाम का महत्व

जब हम किसी को प्रणाम करते हैं, उन्हें नमस्कार करते हैं
या कोई हमें प्रणाम करता है तो अनायास हमारे मुख से निकलता है,
खुश रहो, सदा सुखी रहो, यह जो प्रणाम के उत्तर में हमारे मुख से निकलता है ना,
यह कोई साधारण शब्द नहीं है, यह दुनिया के सबसे कीमती शब्द है,
आजकल हम इन बातों को महत्व देना बंद करते जा रहे हैं,
पर यकीन मानो, प्रणाम के जवाब के रूप में आशीर्वाद हमें मिलता है
या हम किसी को देते हैं वह 100 फीसदी चमत्कारिक शब्द होते हैं,
बहुत कीमती शब्द होते हैं
एक बहुत प्यारी कथा सुना रही हूं, ध्यान से सुनिए,


महाभारत का युद्ध चल रहा था,
एक दिन दुर्योधन के व्यंग से आहत होकर भीष्म पितामह घोषणा कर देते हैं कि कल मैं पांडवों का वध कर दूंगा.
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवो के शिविर में बेचैनी बढ़ गई,
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था, इसीलिए किसी अनिष्ट की आशंका से सभी परेशान हो गए,
तब श्री कृष्ण ने द्रोपदी से कहा, अभी मेरे साथ चलो श्री कृष्ण द्रोपदी को लेकर सीधे भीष्म पिताहम के शिविर में पहुंच गए,
शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि अंदर जाकर पितामह को प्रणाम करो, द्रोपदी ने अंदर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने अखंड सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद दे दिया
फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि पुत्री, तुम इतनी रात में अकेली यहां कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहां लेकर आए हैं,
तब द्रोपदी ने कहा कि हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं,
तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आए और दोनों ने एक दूसरे को प्रणाम किया,
भीष्म ने कहा, मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम सिर्फ श्री कृष्ण हीं कर सकते हैं.
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रोपदी से कहा,
तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवन दान मिल गया है अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र,द्रोणाचार्य आदि को प्रणाम करती होती
और दुर्योधन, दुःशासन आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होती तो शायद इस युद्ध की नौबत ही ना आती,
वर्तमान में घरों में जो इतनी समस्याएं हैं, उनका भी मूल कारण यही है,
जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो ही जाती है,
यदि घर के बच्चे और बहू किसी दिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद ले
तो शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश ना हो,
बड़ों के दिए गए आशीर्वाद बच्चों के लिए कवच की तरह काम करते हैं,
उनको कोई अस्त्र शस्त्र नहीं भेद सकता,
क्योंकि प्रणाम प्रेम है, प्रणाम अनुशासन है, प्रणाम शीतलता है. प्रणाम आदर सिखाता है, प्रणाम से सुविचार आते हैं, प्रणाम झुकना सिखाता है, प्रणाम क्रोध मिटाता है, प्रणाम आंसू धो दे देता है, प्रणाम अहंकार मिटाता है, प्रणाम हमारी संस्कृति है,

आप सभी को मेरा सादर प्रणाम,

Speaker: Diksha Rajput
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हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये!

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